तुम्हारी हर बात अच्छी थी हर बात सच्ची थी मैं नादान था जो तुम्हारी भावनाओं को समझ नहीं पाया जितना बार गिरा हूं संभलने की कोशिश किया इसीलिए फर्श से अर्श पर अपनी मुकद्दर है मुझे आपके प्यार का आशियाना मिला हर लम्हा खुशियों में गुजर रहा है अच्छी जिंदगी जीने का सौभाग्य मिला है थोड़ा-थोड़ा मुझे रोज तोड़ती जा रही हो आज मेरे मोहब्बत का हिसाब कर दो
Shayari sangrah | Hindi shayari